इस तरह रफ़्तार बढ़ती जाती है, आदत के पक्की होने के साथ-साथ क्रिया की स्वतः गतिशीलता हर लिहाज़ से ज़्यादा प्रभावी बन जाती है, गतियों का ढ़ांचा ज़्यादा सरल हो जाता है और व्यष्टिक गतियां एक अनवरत, साथ-साथ तथा तेज़ रफ़्तार से संपन्न की जा रही प्रक्रिया में विलयित हो जाती हैं।